Wednesday 17 August 2011

ॐ यस्तु सर्वाणि


6th Mantra of Isha- Upanishad


ॐ यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति।
सर्वभूतेषु चात्मानं ततो न विजुगुप्सते॥६॥



He who sees all beings in the Self (Atman) and the Self in all beings, Therefore he does not hate.


(जो सम्पूर्ण प्राणियों को आत्मा मे ही देखता है और समस्त प्राणियों मे भी आत्मा को ही देखता है, वह इस [सार्वात्म्यदर्शन]- के कारण ही किसीसे घृणा नहीं करता ॥6॥)

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