Wednesday 17 August 2011

ॐ अन्धं तमः प्रविशन्ति


9th Mantra of Isa-Upanishad.

ॐ अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽविद्यामुपासते।
ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायाँ रताः॥९॥

They who worship Avidya (karma) alone fall into blind darkness of this materialistic life (Samsara): and those who worship (Known as Upaasana) Vidya alone (and not the actual performance) fall into even greater darkness. 

4 comments:

  1. Can anyone elaborate this verse?

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  2. एक होता है अज्ञानी, एक होता है ज्ञानी! अज्ञानी वह होता है जिसे कुछ भी नहीं पता और वह अपने अज्ञान में ही सारे कर्म करता है। जिसे नहीं पता कर्म क्या है? अकर्म क्या है? शुभ क्या है?अशुभ क्या है? और वह अपना काम करता रहता है। जो भी उसे दिखता है, जो भी समझ में आता है, वह उसी प्रकार से काम करता है। दूसरा होता है ज्ञानी जो सब कुछ जानता है, शास्त्रों का अध्ययन करता है लेकिन फिर भी वह सिर्फ फल की प्राप्ति के लिए भक्ति करता है। इस श्लोक में वही लिखा गया है कि जो अज्ञानी है वह तो अंधकार में जाता है और जो मिथ्याभिमानी ज्ञानी है वह उससे भी गहरे अंधकार में जाता है।

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  3. सही व्याख्या

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